Mother Teresa Biography in Hindi | मदर टेरेसा की जीवनी
By EXAM JOB EXPERT Published: August 31, 2024
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसिडोनिया (अब स्कोप्जे, उत्तर मैसेडोनिया) में हुआ था। उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। बहुत छोटी उम्र से ही उन्हें धर्म और सेवा के प्रति गहरी रुचि थी। 18 साल की उम्र में, वह आयरलैंड में “सिस्टर्स ऑफ लोरेटो” में शामिल हुईं, जहाँ उन्हें मिशनरी बनने की शिक्षा दी गई।
1929 में, मदर टेरेसा भारत आईं और कोलकाता (तब कलकत्ता) में सेंट मैरी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। 1948 में, उन्होंने गरीबों और बीमारों की सेवा करने के लिए “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की। उनका उद्देश्य उन लोगों की सेवा करना था जो समाज के हाशिए पर थे और जिनकी देखभाल कोई नहीं करता था।
मदर टेरेसा का जीवन मानवता की सेवा में समर्पित रहा। उन्होंने कोलकाता के गरीब इलाकों में काम किया और अनगिनत लोगों की सहायता की। उनके कार्यों के लिए उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
5 सितंबर 1997 को उनका निधन हो गया। 4 सितंबर 2016 को, उन्हें पोप फ्रांसिस द्वारा संत घोषित किया गया। मदर टेरेसा को उनकी दया, करुणा, और सेवा की भावना के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
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मदर टेरेसा का शुरुआती जीवन – Mother Teresa Story in Hindi
मदर टेरेसा का शुरुआती जीवन उनके बाद के कार्यों और मिशन के लिए आधारशिला बना। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसिडोनिया के स्कोप्जे शहर में हुआ था, जो उस समय ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। वे एक अल्बानियाई परिवार में जन्मी थीं और उनकी परवरिश एक कैथोलिक वातावरण में हुई।
उनके पिता, निकोला बोयाजिजू, एक व्यापारी और राजनीतिक रूप से सक्रिय व्यक्ति थे, जबकि उनकी माँ, ड्राना बोयाजिजू, एक धार्मिक महिला थीं, जिन्होंने परिवार में ईश्वर के प्रति गहरी आस्था को बढ़ावा दिया। जब एग्नेस मात्र आठ साल की थीं, उनके पिता का अचानक निधन हो गया। इस घटना ने परिवार को आर्थिक और भावनात्मक रूप से हिला दिया, लेकिन उनकी माँ ने उन्हें और उनके भाई-बहनों को प्यार और दृढ़ता के साथ पाला।
बचपन से ही, एग्नेस ने ईश्वर और सेवा के प्रति गहरी रुचि दिखाई। 12 साल की उम्र में, उन्होंने पहली बार महसूस किया कि वे एक धार्मिक जीवन की ओर आकर्षित हो रही हैं। 18 साल की उम्र में, उन्होंने अपने घर को छोड़कर आयरलैंड में “सिस्टर्स ऑफ लोरेटो” में शामिल होने का निर्णय लिया, जहाँ उन्हें मिशनरी बनने की शिक्षा दी गई।
आयरलैंड में बिताए गए इस समय के दौरान, उन्होंने अंग्रेजी सीखी, जो बाद में उन्हें भारत में उनके काम के दौरान आवश्यक थी। उन्होंने सिस्टर मैरी टेरेसा नाम धारण किया, जिसे बाद में “मदर टेरेसा” के रूप में जाना गया।
इस प्रकार, मदर टेरेसा का शुरुआती जीवन उनके मिशनरी कार्यों और मानवता की सेवा के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
मदर टेरेसा के कार्य
मदर टेरेसा का जीवन सेवा और मानवता के प्रति समर्पण का प्रतीक था। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जो समाज के सबसे गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए समर्पित थे। उनके कार्यों का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की मदद करना था जिन्हें समाज ने हाशिए पर धकेल दिया था।
1. मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना (1950):
मदर टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य गरीबों, बीमारों, अनाथों, और मरते हुए लोगों की देखभाल करना था। इस संस्था की शुरुआत केवल 13 सदस्यों से हुई थी, लेकिन बाद में यह विश्व भर में फैल गई, और इसके हजारों सदस्य हो गए।
2. निर्मल हृदय का निर्माण (1952):
मदर टेरेसा ने 1952 में कोलकाता में “निर्मल हृदय” नामक एक घर की स्थापना की, जहाँ गरीब, बीमार, और मरते हुए लोगों को लाया जाता था। यहाँ उन्हें सम्मानपूर्वक जीने और मरने का अवसर दिया जाता था। यह स्थान उन लोगों के लिए था जिन्हें समाज ने त्याग दिया था।
3. शिशु भवन और शांति नगर:
उन्होंने “शिशु भवन” की स्थापना की, जहाँ अनाथ और परित्यक्त बच्चों को रखा जाता था और उनकी देखभाल की जाती थी। इसके अलावा, “शांति नगर” की स्थापना कुष्ठ रोगियों के लिए की गई थी, जहाँ उनकी चिकित्सा और पुनर्वास की व्यवस्था की जाती थी।
4. बाढ़ और अकाल पीड़ितों की सहायता:
मदर टेरेसा ने भारत के विभिन्न हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ और अकाल के दौरान भी सक्रिय रूप से लोगों की सहायता की। उन्होंने राहत शिविर लगाए और प्रभावित लोगों के लिए भोजन, दवाइयाँ, और अन्य आवश्यक चीजों की व्यवस्था की।
5. अंतर्राष्ट्रीय विस्तार:
मदर टेरेसा के कार्य सिर्फ भारत तक सीमित नहीं थे। उन्होंने “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” को दुनिया भर में फैलाया, और अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, और एशिया के कई देशों में गरीबों की सेवा के लिए केंद्र स्थापित किए।
6. शांति और सहिष्णुता का संदेश:
मदर टेरेसा ने अपने कार्यों के माध्यम से शांति, सहिष्णुता, और मानवता का संदेश फैलाया। उन्होंने हमेशा कहा कि उनके काम का उद्देश्य “प्यार का कार्य” करना था, और उन्होंने इसे बिना किसी भेदभाव के किया।
7. पुरस्कार और सम्मान:
मदर टेरेसा के कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें भारत सरकार द्वारा 1980 में “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
8. संत की उपाधि:
4 सितंबर 2016 को, उन्हें कैथोलिक चर्च द्वारा संत घोषित किया गया, जो उनके जीवन और कार्यों की महानता को मान्यता देता है।
मदर टेरेसा की वैश्विक प्रसिद्धि और पुरस्कार
मदर टेरेसा की वैश्विक प्रसिद्धि उनके निस्वार्थ सेवा और मानवता के प्रति समर्पण के कारण हुई। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनसे दुनिया भर में उन्हें पहचान मिली और कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। यहाँ उनके वैश्विक प्रसिद्धि और पुरस्कारों का विवरण दिया गया है:
वैश्विक प्रसिद्धि
सेवा कार्यों की पहचान: मदर टेरेसा के सेवा कार्यों की शुरुआत कोलकाता से हुई, लेकिन उनका प्रभाव जल्दी ही वैश्विक स्तर पर फैल गया। उन्होंने सबसे गरीब और बीमार लोगों की मदद की, जिनकी देखभाल की कोई अन्य व्यवस्था नहीं थी। यह सेवा की भावना ही थी जिसने उन्हें विश्व स्तर पर प्रसिद्ध किया।
मीडिया का ध्यान: 1960 के दशक में मदर टेरेसा के काम पर दुनिया का ध्यान आकर्षित हुआ, जब उनके कार्यों को मीडिया ने कवर करना शुरू किया। उनकी सेवा की कहानियों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया, और उनके काम की चर्चा विभिन्न देशों में होने लगी।
अंतर्राष्ट्रीय यात्राएँ: मदर टेरेसा ने विभिन्न देशों की यात्रा की और वहां के नेताओं और समुदायों से मुलाकात की। उन्होंने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, यूरोप, और अन्य महाद्वीपों में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएँ स्थापित कीं, जिससे उनकी वैश्विक पहचान और बढ़ी।
धार्मिक और राजनीतिक समर्थन: दुनिया भर के कई धर्मगुरु, राजनेता, और समाजसेवी मदर टेरेसा के काम से प्रभावित थे। उन्होंने विभिन्न मंचों पर उनके काम की सराहना की और समर्थन प्रदान किया, जिससे उनकी प्रसिद्धि और भी बढ़ गई।
प्रमुख पुरस्कार और सम्मान
नोबेल शांति पुरस्कार (1979): मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें उन लोगों की सेवा के लिए दिया गया जो समाज में सबसे कमजोर और गरीब थे। उन्होंने यह पुरस्कार उन लोगों के नाम समर्पित किया जो “प्यार के संदेशवाहक” के रूप में दुनिया में सेवा कर रहे थे।
भारत रत्न (1980): भारत सरकार ने 1980 में मदर टेरेसा को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, “भारत रत्न” से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उनके भारत में किए गए सेवा कार्यों के लिए दिया गया था।
पद्मश्री (1962): 1962 में, मदर टेरेसा को भारत सरकार ने “पद्मश्री” पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उनके समाज सेवा के कार्यों के लिए था।
मैग्सेसे पुरस्कार (1962): मदर टेरेसा को 1962 में फिलीपींस सरकार द्वारा “रेमन मैग्सेसे पुरस्कार” से सम्मानित किया गया, जो एशिया के नोबेल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है। उन्हें यह पुरस्कार सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए मिला।
गांधी शांति पुरस्कार (1995): भारत सरकार ने उन्हें 1995 में “गांधी शांति पुरस्कार” से सम्मानित किया, जो महात्मा गांधी के आदर्शों पर आधारित शांति और अहिंसा के प्रति उनके योगदान के लिए था।
संत की उपाधि (2016): मदर टेरेसा के निधन के बाद, 4 सितंबर 2016 को, उन्हें कैथोलिक चर्च द्वारा संत घोषित किया गया। यह सम्मान उनके जीवन और कार्यों की महानता को मान्यता देता है।
अन्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मान: मदर टेरेसा को कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान मिले, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका का “प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम” और ब्रिटेन का “ऑर्डर ऑफ मेरिट”।
मदर टेरेसा की मृत्यु
मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर 1997 को हुआ। उन्होंने 87 वर्ष की आयु में कोलकाता (तब कलकत्ता), भारत में अपनी अंतिम सांस ली। उनके जीवन का अंतिम समय भी उतना ही संघर्षपूर्ण और सेवा से भरा हुआ था, जैसा कि उनका पूरा जीवन रहा था।
अंतिम दिन और बीमारी:
मदर टेरेसा ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया। उन्हें दिल की बीमारी, फेफड़ों की समस्याएँ, और किडनी की बीमारियाँ थीं। 1983 में, उन्हें पोप जॉन पॉल II से मिलने के लिए रोम की यात्रा के दौरान दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद भी, उन्होंने अपने कार्यों को जारी रखा, लेकिन उनकी तबीयत धीरे-धीरे बिगड़ती गई।
1991 में, मैक्सिको में एक और दिल का दौरा पड़ने के बाद उनकी सेहत और भी कमजोर हो गई। इसके बावजूद, उन्होंने “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” का नेतृत्व करना जारी रखा। 1997 में, अपनी मृत्यु से कुछ महीने पहले, उन्होंने इस संस्था की प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया, और उनकी जगह सिस्टर निर्मला को नया प्रमुख नियुक्त किया गया।
मृत्यु और अंतिम संस्कार:
5 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का निधन हो गया। उनकी मृत्यु की खबर ने पूरे विश्व को शोक में डाल दिया। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, और भारत सरकार ने उनके सम्मान में राजकीय अंतिम संस्कार का आयोजन किया।
उनका शव कोलकाता के सेंट थॉमस चर्च में रखा गया, जहाँ लोग अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े। उनकी अंतिम यात्रा में भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उनके योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए भारत में राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया।
विरासत:
मदर टेरेसा के निधन के बाद भी उनकी सेवा की भावना और मानवता के प्रति उनका योगदान जीवित है। “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” आज भी दुनिया भर में सक्रिय है और गरीबों, बीमारों, और जरूरतमंदों की सेवा करती है।
4 सितंबर 2016 को, उन्हें कैथोलिक चर्च द्वारा संत घोषित किया गया, जो उनके जीवन और कार्यों की महानता को मान्यता देता है। उन्हें “संत टेरेसा ऑफ कोलकाता” के नाम से भी जाना जाता है।
मदर टेरेसा का जीवन, उनकी मृत्यु के बाद भी, दुनिया भर में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उनकी करुणा, सेवा, और दया की भावना हमेशा याद की जाएगी।
मदर टेरेसा के अनमोल विचार
मदर टेरेसा के विचार और उद्धरण उनकी गहरी करुणा, प्रेम, और सेवा की भावना को दर्शाते हैं। उनके अनमोल विचार जीवन, सेवा, और मानवता के प्रति उनके दृष्टिकोण का प्रतिबिंब हैं। यहाँ उनके कुछ प्रमुख उद्धरण दिए गए हैं:
1. प्रेम और सेवा पर:
- “न केवल देने से, बल्कि देने में प्यार महसूस करने से हम भगवान के प्रेम का अनुभव करते हैं।”
- “प्रेम के लिए भूख रोटी के लिए भूख से भी बड़ी है।”
2. छोटे कार्यों की महानता पर:
- “हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते, लेकिन हम छोटे कार्यों को महान प्रेम के साथ कर सकते हैं।”
- “अपने जीवन को महान कार्यों की प्रतीक्षा में मत बिताओ। छोटे काम ही महान कार्य बन सकते हैं जब वे प्रेम के साथ किए जाते हैं।”
3. शांति और खुशी पर:
- “अगर आप चाहते हैं कि दुनिया में शांति हो, तो घर जाइए और अपने परिवार से प्यार कीजिए।”
- “खुशी का मार्ग दूसरों की सेवा में है।”
4. दयालुता और करुणा पर:
- “दयालुता के किसी भी कार्य को, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, कभी बेकार नहीं जाना चाहिए।”
- “आपकी दया और करुणा दुनिया के लिए एक उपहार है, इसे हर दिन साझा करें।”
5. प्रार्थना और ईश्वर पर:
- “प्रार्थना में विश्वास को गहराई से महसूस करना, ईश्वर की उपस्थिति को अपने जीवन में आमंत्रित करने के समान है।”
- “भगवान हमें सफल होने के लिए नहीं कहते हैं, बल्कि हमें विश्वासयोग्य होने के लिए कहते हैं।”
6. गरीबों की सेवा पर:
- “गरीबों की सेवा करते समय, हमें उन्हें हमारे जीवन का केंद्र बनाना चाहिए, न कि केवल एक दान के रूप में देखना चाहिए।”
- “हम जो करते हैं वह केवल एक बूंद हो सकता है, लेकिन समुद्र इस एक बूंद के बिना अधूरा होता।”
7. माफी और सहिष्णुता पर:
- “अगर हम लोगों को जज करेंगे, तो हमारे पास उन्हें प्यार करने का समय नहीं होगा।”
- “सच्ची माफी तब होती है जब हम किसी से कह सकते हैं, ‘मैं तुम्हें वैसे ही स्वीकार करता हूँ जैसे तुम हो।'”
8. प्यार के बिना जीवन पर:
- “जीवन जो प्यार से खाली है, सबसे बड़ी गरीबी है।”
- “आपको प्यार के बिना जीने की ज़रूरत नहीं है। हर किसी के दिल में प्रेम का बीज होता है। उसे फलने-फूलने दीजिए।”
क्या आप मदर टेरेसा के बारे में ये तथ्य जानते हैं?
मदर टेरेसा के बारे में कई दिलचस्प और प्रेरणादायक तथ्य हैं, जो उनके जीवन और कार्यों की गहराई को समझने में मदद करते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:
1. मूल नाम और शुरुआत:
- मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। “गोंझा” का अर्थ अल्बानियाई भाषा में “फूल की कली” होता है।
- वे 18 साल की उम्र में आयरलैंड गईं और वहाँ “सिस्टर्स ऑफ लोरेटो” में शामिल हुईं। यहीं उन्होंने सिस्टर टेरेसा नाम धारण किया।
2. भारत में आगमन:
- 1929 में, वे भारत आईं और कोलकाता में सेंट मैरी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। यहीं से उनकी सेवा की यात्रा की शुरुआत हुई।
3. कॉल विदिन ए कॉल:
- 1946 में, मदर टेरेसा को “कॉल विदिन ए कॉल” का अनुभव हुआ। उन्होंने महसूस किया कि उनका असली उद्देश्य गरीबों और बीमारों की सेवा करना था। इसके बाद उन्होंने “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की।
4. अर्थव्यवस्था की सादगी:
- मदर टेरेसा ने जीवनभर साधारण वस्त्र धारण किए। उन्होंने एक सफेद साड़ी पहनने का निर्णय लिया, जो नीली किनारी वाली थी। यह साड़ी अब “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” का आधिकारिक परिधान बन गई।
5. नोबेल शांति पुरस्कार:
- 1979 में, जब उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिला, तो उन्होंने पुरस्कार समारोह के भोज को अस्वीकार कर दिया और इसके स्थान पर गरीबों के लिए $192,000 की राशि का अनुरोध किया।
6. विवाद और आलोचना:
- मदर टेरेसा की सेवा की व्यापक सराहना हुई, लेकिन कुछ आलोचक उनके तरीकों को लेकर सवाल भी उठाते थे। उनके अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी और उनकी धार्मिक मान्यताओं को लेकर आलोचना भी हुई।
7. अंतरराष्ट्रीय कार्य:
- मदर टेरेसा ने भारत के बाहर भी कई देशों में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएँ स्थापित कीं। उनके कार्यों का विस्तार अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, और यूरोप के कई देशों तक हुआ।
8. संत की उपाधि:
- 4 सितंबर 2016 को, उन्हें पोप फ्रांसिस द्वारा संत घोषित किया गया। यह समारोह वेटिकन सिटी में आयोजित हुआ और इसमें दुनियाभर के हजारों लोग शामिल हुए।
9. अंतिम सांसें और सम्मान:
- मदर टेरेसा ने 5 सितंबर 1997 को कोलकाता में अपनी अंतिम सांस ली। उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई, जो किसी विदेशी को दिया जाने वाला एक दुर्लभ सम्मान है।
10. लघु विरासत:
- “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” का काम आज भी दुनिया भर में जारी है, और इस संस्था में हज़ारों सिस्टर्स और ब्रदर्स काम कर रहे हैं, जो मदर टेरेसा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा की जीवनी (Mother Teresa Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
1. मदर टेरेसा कौन थीं?
- उत्तर: मदर टेरेसा एक कैथोलिक नन और मिशनरी थीं जिन्होंने अपना जीवन गरीबों, बीमारों, और जरूरतमंदों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को वर्तमान मेसेडोनिया के स्कोप्जे में हुआ था। वे 1929 में भारत आईं और यहाँ “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की।
2. मदर टेरेसा ने “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना कब और क्यों की?
- उत्तर: मदर टेरेसा ने 1950 में कोलकाता, भारत में “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की। इस संस्था का उद्देश्य गरीबों, बीमारों, अनाथों, और मरते हुए लोगों की सेवा करना था। मदर टेरेसा को “कॉल विदिन ए कॉल” का अनुभव हुआ था, जिसने उन्हें इस सेवा मिशन की स्थापना के लिए प्रेरित किया।
3. मदर टेरेसा को कौन से प्रमुख पुरस्कार मिले?
- उत्तर: मदर टेरेसा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले, जिनमें शामिल हैं:
- नोबेल शांति पुरस्कार (1979)
- भारत रत्न (1980)
- पद्मश्री (1962)
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1962)
- गांधी शांति पुरस्कार (1995)
- 2016 में, उन्हें कैथोलिक चर्च द्वारा संत की उपाधि दी गई।
4. मदर टेरेसा का असली नाम क्या था?
- उत्तर: मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। उन्होंने “टेरेसा” नाम तब लिया जब वे “सिस्टर्स ऑफ लोरेटो” में शामिल हुईं।
5. मदर टेरेसा का मुख्य कार्यक्षेत्र कौन सा था?
- उत्तर: मदर टेरेसा का मुख्य कार्यक्षेत्र कोलकाता, भारत था। उन्होंने यहाँ सबसे पहले गरीबों और बीमारों की सेवा शुरू की। हालांकि, उनके सेवा कार्यों का विस्तार दुनिया भर में हुआ, और उनकी संस्था “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की शाखाएँ विभिन्न देशों में स्थापित हुईं।
6. मदर टेरेसा का प्रसिद्ध नारा क्या था?
- उत्तर: मदर टेरेसा का प्रसिद्ध नारा था: “छोटे कार्यों को महान प्रेम के साथ करना।” उन्होंने इस विचारधारा पर बल दिया कि छोटे-छोटे कार्य भी महत्वपूर्ण होते हैं यदि उन्हें प्रेम और करुणा के साथ किया जाए।
7. मदर टेरेसा का निधन कब और कहाँ हुआ?
- उत्तर: मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर 1997 को कोलकाता, भारत में हुआ। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षण भी सेवा में बिताए।
8. मदर टेरेसा के सेवा कार्यों की क्या आलोचनाएँ हुईं?
- उत्तर: हालांकि मदर टेरेसा के सेवा कार्यों की व्यापक सराहना हुई, लेकिन कुछ आलोचनाएँ भी हुईं। कुछ आलोचकों ने उनके अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी और उनके धर्मांतरण के प्रयासों को लेकर सवाल उठाए। इसके अलावा, कुछ लोग उनके द्वारा प्राप्त दानों के उपयोग पर भी प्रश्न उठाते थे।
9. मदर टेरेसा के जीवन पर आधारित कौन सी प्रमुख पुस्तकें या फिल्में हैं?
- उत्तर: मदर टेरेसा के जीवन पर कई पुस्तकें और फिल्में बनी हैं। कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं:
- “मदर टेरेसा: इन माई ओन वर्ड्स” (Mother Teresa: In My Own Words)
- “कम बी माई लाइट” (Come Be My Light)
- उनके जीवन पर आधारित प्रमुख फिल्में हैं:
- “मदर टेरेसा: इन द नेम ऑफ गॉड्स पुअर” (Mother Teresa: In the Name of God’s Poor)
10. मदर टेरेसा का संदेश क्या था?
- उत्तर: मदर टेरेसा का संदेश प्रेम, सेवा, और करुणा का था। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे बड़ी भूख रोटी की नहीं, बल्कि प्यार और देखभाल की है। उनका जीवन और कार्य इस संदेश का प्रतीक थे कि सच्ची खुशी दूसरों की सेवा में निहित है।