Quit India Movement: भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व और परिणाम
By EXAM JOB EXPERT Published: August 30, 2024
भारत छोड़ो आंदोलन का ऐतिहासिक नारा ‘यूसुफ मेहर अली’ के द्वारा दिया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेज बुरी तरह से हार गए थे। इस हार के बाद से अंग्रेजों का वर्चस्व दुनिया में घटने लगा था। इस बात को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय इतिहास के सबसे बड़े आन्दोलनों में से एक है। 8 अगस्त, 2023 को भारत ने भारत छोड़ो आंदोलन के 81 साल पूरे किए है, जिसे ‘अगस्त क्रांति’ भी कहा जाता है। भारत की स्वतंत्रता में Quit india Movement in hindi की बड़ी भूमिका रही है। यहाँ भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
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भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में
भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त 1942 को हुई थी, जब महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई सत्र में “अंग्रेज़ों भारत छोड़ो” का नारा दिया था। इसे अंग्रेजी में “Quit India Movement” कहा गया।
भारत छोड़ो आंदोलन सही मायने में एक जन आंदोलन था, जिसमें लाखों आम भारतीयों ने भाग लिया था। Quit india movement in hindi की तरफ बड़ी मात्रा में युवा आकर्षित हुए। वे अपने स्कूल कॉलेज की पढ़ाई को छोड़कर इस आंदोलन का हिस्सा बने थे। इस आंदोलन ने भारत की स्वतंत्रता में एक बड़ी भूमिका अदा की थी। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत महात्मा गाँधी के द्वारा 8 अगस्त 1942 को की गई थी।
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। आपको बता दें कि गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने ऐतिहासिक भाषण में “करो या मरो” का नारा दिया था, जिस स्थान को वर्तमान समय में ‘अगस्त क्रांति मैदान’ के नाम से जाना जाता है।
भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने के पीछे के कारण
भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने के पीछे कई प्रमुख कारण थे, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए निर्णायक साबित हुए। इनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. द्वितीय विश्व युद्ध और भारतीय समर्थन:
- द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीय नेताओं से परामर्श किए बिना ही भारत को युद्ध में शामिल कर लिया। भारतीय नेताओं को इस पर आपत्ति थी क्योंकि भारतीय जनता को इस युद्ध से कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं था, और इसके बावजूद उन्हें इसमें शामिल किया गया।
- ब्रिटिश सरकार ने युद्ध के बाद भारत को स्वतंत्रता देने का कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया, जिससे भारतीयों में असंतोष और बढ़ गया।
2. अंग्रेज़ों के प्रति अविश्वास:
- 1939 में वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा भारतीय नेताओं से बिना किसी परामर्श के भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया गया। इसने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य प्रमुख नेताओं में अंग्रेज़ों के प्रति अविश्वास पैदा किया।
- क्रिप्स मिशन (1942) की असफलता ने भी यह अविश्वास और गहरा कर दिया। इस मिशन के तहत ब्रिटिश सरकार ने भारत को युद्ध के बाद कुछ रियायतें देने की पेशकश की थी, लेकिन यह प्रस्ताव भारतीय नेताओं को अस्वीकार्य लगा।
3. अंतर्राष्ट्रीय स्थिति और विश्व युद्ध का प्रभाव:
- विश्व युद्ध के दौरान दुनिया भर में औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ जन आंदोलन हो रहे थे। भारत में भी इसका प्रभाव पड़ा, और लोगों में स्वतंत्रता की इच्छा और बढ़ी।
- जापान ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ा, और यह डर था कि जापान भारत पर हमला कर सकता है। इसने भारतीय जनता में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी, जिससे वे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हो गए।
4. आर्थिक कठिनाइयाँ और जन असंतोष:
- युद्ध के दौरान भारत की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी। महंगाई, खाद्यान्न की कमी, और बेरोजगारी जैसी समस्याओं ने आम जनता को प्रभावित किया।
- किसानों और मजदूरों के बीच असंतोष बढ़ रहा था, और वे ब्रिटिश शासन से मुक्ति चाहते थे।
5. महात्मा गांधी की विचारधारा:
- महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को एक बड़ा अन्याय माना और महसूस किया कि अब समय आ गया है कि भारत पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करे। उनका मानना था कि अहिंसात्मक संघर्ष के माध्यम से ही स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है।
- गांधीजी ने “करो या मरो” (Do or Die) का नारा देकर लोगों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम
भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण थे। इस आंदोलन ने भारतीय समाज, राजनीति, और ब्रिटिश शासन पर गहरा प्रभाव डाला। इसके प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं:
1. स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में अंतिम कदम:
- भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अंतिम बड़ा जन आंदोलन था। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के प्रति जनता के असंतोष और स्वतंत्रता की अनिवार्यता को स्पष्ट रूप से उजागर किया।
- यद्यपि आंदोलन के तुरंत बाद भारत को स्वतंत्रता नहीं मिली, लेकिन यह आंदोलन स्वतंत्रता की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। इसके बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता को टालना लगभग असंभव समझा।
2. ब्रिटिश शासन की कमजोरी का प्रदर्शन:
- आंदोलन ने यह दिखा दिया कि ब्रिटिश शासन की नींव अब भारत में कमजोर हो चुकी थी। आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने कड़े दमनात्मक कदम उठाए, जिसमें बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां, प्रेस सेंसरशिप, और हिंसक कार्रवाइयां शामिल थीं।
- लेकिन इन कदमों के बावजूद, ब्रिटिश सरकार जन आंदोलनों को पूरी तरह से दबाने में विफल रही। इससे यह स्पष्ट हो गया कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत में अपने शासन को बनाए रखने में सक्षम नहीं था।
3. राष्ट्रीय एकता और आत्मनिर्भरता का उदय:
- आंदोलन के दौरान भारतीयों ने राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन किया। विभिन्न वर्गों, समुदायों, और क्षेत्रों के लोग इस आंदोलन में शामिल हुए, जिससे स्वतंत्रता की भावना पूरे देश में फैल गई।
- आंदोलन ने भारतीय जनता में आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की भावना को भी बढ़ावा दिया। स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों का उपयोग बढ़ा, और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
4. अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और सहानुभूति:
- भारत छोड़ो आंदोलन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ओर आकर्षित किया। कई देशों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति सहानुभूति और समर्थन व्यक्त किया।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर में उपनिवेशवाद के खिलाफ आवाजें उठने लगीं, और भारत छोड़ो आंदोलन ने इस वैश्विक प्रवृत्ति को बल दिया।
5. अंतरिम सरकार और स्वतंत्रता के लिए मार्ग प्रशस्त:
- आंदोलन के बाद, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ और ब्रिटिश सरकार ने भारत में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू की।
- 1946 में भारत में अंतरिम सरकार का गठन हुआ, जिसमें भारतीय नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, भारत की स्वतंत्रता के लिए औपचारिक प्रक्रिया तेज हो गई।
6. नए नेताओं का उदय:
- महात्मा गांधी और अन्य प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, नए नेताओं का उदय हुआ जिन्होंने आंदोलन को जारी रखा। इनमें जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, और अरुणा आसफ अली जैसे युवा नेता प्रमुख थे।
- इन नेताओं ने आंदोलन को आगे बढ़ाया और जनता में स्वतंत्रता की भावना को जीवित रखा।
7. स्वतंत्रता प्राप्ति:
- भारत छोड़ो आंदोलन के पांच वर्षों के भीतर, भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक घटनाओं में से एक था जिसने स्वतंत्रता के अंतिम चरण को सुनिश्चित किया।
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता के अंतिम संघर्ष का प्रतीक था, बल्कि इसने भारतीय समाज, राजनीति, और जनचेतना में गहरे और स्थायी परिवर्तन लाए। यहाँ इस आंदोलन के कुछ प्रमुख महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
1. स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक घटना:
- भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अंतिम और सबसे व्यापक जन आंदोलन था। इसने स्वतंत्रता के लिए भारतीय जनता के दृढ़ संकल्प और बलिदान को दर्शाया।
- इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के प्रति जनता के असंतोष को चरम पर पहुंचा दिया और ब्रिटिश सरकार को यह समझने पर मजबूर कर दिया कि अब भारत में उनका शासन लंबे समय तक नहीं टिक सकता।
2. राष्ट्रीय एकता और जनजागृति:
- आंदोलन ने भारत में विभिन्न समुदायों, जातियों, और धर्मों के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया। पूरे देश में लोगों ने एकजुट होकर स्वतंत्रता की मांग की, जिससे भारत में एक सामूहिक राष्ट्रीय पहचान का विकास हुआ।
- इस आंदोलन ने आम जनता, विशेषकर किसानों, मजदूरों, और महिलाओं में जागरूकता और राजनीतिक सक्रियता को प्रोत्साहित किया। इससे भारतीय समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव और भी मजबूत हुई।
3. ब्रिटिश शासन के प्रति अविश्वास का प्रतीक:
- क्रिप्स मिशन की विफलता और द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की अवांछित भागीदारी ने भारतीय नेताओं और जनता में ब्रिटिश सरकार के प्रति अविश्वास को गहरा कर दिया। भारत छोड़ो आंदोलन इस अविश्वास का स्पष्ट और सशक्त अभिव्यक्ति था।
- इस आंदोलन के माध्यम से भारतीय जनता ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि अब वे ब्रिटिश शासन के अधीन नहीं रहना चाहते और स्वतंत्रता उनके लिए अपरिहार्य है।
4. अहिंसक संघर्ष का प्रभाव:
- महात्मा गांधी द्वारा “करो या मरो” (Do or Die) का नारा देकर शुरू किए गए इस आंदोलन ने अहिंसा को संघर्ष का प्रमुख साधन बनाए रखा। यद्यपि कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई, परंतु आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
- यह आंदोलन महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की नीति की सफलता का एक और उदाहरण था, जिसने भारतीय जनता को संघर्ष के लिए प्रेरित किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा किया।
5. ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत:
- आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य को यह एहसास दिलाया कि भारत में अब उनके शासन का अंत निकट है। भारतीय जनता के निरंतर विरोध और व्यापक असंतोष ने ब्रिटिश सरकार को राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से कमजोर कर दिया।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, ब्रिटिश सरकार के लिए भारत पर शासन करना असंभव हो गया और उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू की, जो अंततः 15 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता में परिणत हुई।
6. वैश्विक समर्थन और उपनिवेशवाद का विरोध:
- भारत छोड़ो आंदोलन ने दुनिया भर में उपनिवेशवाद के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रेरित किया। आंदोलन ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ध्यान दिलाया और वैश्विक समुदाय में भारतीय स्वतंत्रता के प्रति सहानुभूति बढ़ी।
- इस आंदोलन ने अन्य उपनिवेशित देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों को भी प्रोत्साहित किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उपनिवेशवाद के अंत की शुरुआत हुई।
7. नए नेतृत्व का उदय:
- आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, एक नया युवा नेतृत्व उभर कर आया जिसने आंदोलन को जीवित रखा। इनमें जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, और अरुणा आसफ अली जैसे नेता शामिल थे।
- यह नया नेतृत्व स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा।
FAQs
1. भारत छोड़ो आंदोलन क्या था?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जिसे 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य था भारत को ब्रिटिश शासन से तुरंत मुक्त कराना। इस आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने “अंग्रेज़ों भारत छोड़ो” और “करो या मरो” का नारा दिया था।
2. भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था। इस दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बंबई (मुंबई) सत्र में महात्मा गांधी ने यह आंदोलन प्रारंभ करने का आह्वान किया था।
3. भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर: आंदोलन के प्रमुख कारणों में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को युद्ध में शामिल करना, क्रिप्स मिशन की असफलता, ब्रिटिश शासन के प्रति अविश्वास, आर्थिक कठिनाइयाँ, और भारतीय जनता में स्वतंत्रता की बढ़ती आकांक्षा शामिल थे।
4. भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था। उन्होंने भारतीय जनता को स्वतंत्रता के लिए “करो या मरो” का नारा देकर प्रेरित किया। आंदोलन के दौरान अन्य प्रमुख नेताओं में जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, और मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल थे।
5. क्या भारत छोड़ो आंदोलन अहिंसक था?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन मूल रूप से एक अहिंसक आंदोलन था, जिसे महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की नीति के तहत शुरू किया गया था। हालांकि, कई स्थानों पर आंदोलन के दौरान हिंसा भी हुई, लेकिन गांधीजी ने इसे रोकने का प्रयास किया।
6. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कौन-कौन से प्रमुख नेता गिरफ्तार किए गए थे?
उत्तर: महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, और अन्य प्रमुख कांग्रेस नेता आंदोलन की शुरुआत के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिए गए थे। इसके बाद आंदोलन का नेतृत्व कई युवा नेताओं ने संभाला।
7. भारत छोड़ो आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक रूप से आगे बढ़ाया और ब्रिटिश शासन के अंत की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया, ब्रिटिश शासन की कमजोरी को उजागर किया, और अंततः 1947 में भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया।
8. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान “करो या मरो” का क्या मतलब था?
उत्तर: “करो या मरो” महात्मा गांधी द्वारा दिया गया एक प्रेरणादायक नारा था, जिसका अर्थ था कि भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, चाहे इसके लिए उन्हें अपने प्राणों की आहुति क्यों न देनी पड़े। यह नारा आंदोलन की तीव्रता और स्वतंत्रता के प्रति गांधीजी की प्रतिबद्धता को दर्शाता था।
9. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
उत्तर: आंदोलन की शुरुआत में महात्मा गांधी और अन्य प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी, पूरे देश में हड़तालें और विरोध प्रदर्शन, पुलिस और जनता के बीच टकराव, और कई स्थानों पर हिंसा प्रमुख घटनाएँ थीं। इसके अलावा, नए नेताओं का उदय और आंदोलन के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन भी महत्वपूर्ण थे।
10. भारत छोड़ो आंदोलन का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन का ऐतिहासिक महत्व इस बात में है कि इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक मोड़ दिया, जिससे ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत हुई। यह आंदोलन स्वतंत्रता प्राप्ति की दिशा में अंतिम कदम साबित हुआ और भारतीय समाज में राष्ट्रीयता और एकता की भावना को और भी मजबूत किया।
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